Volume 4, Issue (6), Pages 1-289, April (2016) |
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सम्पादकीय:साहित्य और ग्रामीण जीवन डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(6),1 - (2016) |
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अज्ञेय : व्यष्टि और समष्टि संबंधी मान्यताएं किरन तिवारी ( शोधार्थी ), डॉ. रवीन्द्रनाथ मिश्र ( निर्देशक ), 4(6),2 - 5 (2016) |
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प्रतिरोध के स्वर बुलंद करती दलित लेखिकाओं की आत्मकथाएँ डॉ.राजेश्वरी, 4(6),6 - 9 (2016) |
4 . |
सामाजिक समावेशन : शिक्षा में प्रतिमान विस्थापन भूपेन्द्रसिंह (शोधार्थी),डॉ. पतंजलि मिश्र सहायक आचार्य, 4(6),10 - 18 (2016) |
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जनसंचार और ग्रामीण जीवन यदुनन्दन प्रसाद उपाध्याय (शोधार्थी), 4(6),19 - 21 (2016) |
6 . |
Role Of Education For Cultural Transformation Dr. Balbir singh Jamwal Principal, 4(6),22 - 26 (2016) |
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सूर्यबाला की कहानियों में ग्रामीण जीवन संगीता राणा (शोधार्थी), 4(6),27 - 29 (2016) |
8 . |
केदारनाथ सिंह के काव्य में ग्रामीण जीवन सुरेश सरोठिया (शोधार्थी), 4(6),30 - 33 (2016) |
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‘रतिनाथ की चाची’ उपन्यास में ग्रामीण जीवन सबीना खान (शोधार्थी), 4(6),34 - 37 (2016) |
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उपन्यासों में ग्रामीण जीवन डॉ.मोहिनी नेवासकर, भूपेन्द्र सुल्लेरे (शोधार्थी), 4(6),38 - 41 (2016) |
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साहित्य और ग्रामीण जीवन शोभा चौहान (शोधार्थी), 4(6),42 - 51 (2016) |
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‘ग्राम्या’ में ग्रामीण जीवन और संस्कृति सविता (शोधार्थी), 4(6),52 - 55 (2016) |
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नागार्जुन की कविताओं में लोक संस्कृति आराधना (शोधार्थी), 4(6),56 - 59 (2016) |
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‘गोदान’ का पुनर्पाठ : 21वीं सदी के सन्दर्भ में डॉ.तृष्णा शुक्ला, 4(6),60 - 64 (2016) |
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ग्रामीण जनजीवन की कारुणिक त्रासदी(‘मंत्र‘, ‘दुःख का अधिकार’ और ‘मेरा ख़ुदा‘ कहानी के सन्दर्भ में) कु.चाँदनी गोले (शोधार्थी), 4(6),65 - 69 (2016) |
16 . |
भीली-भीलाली जनजाति : उद्भव और विकास बिरज मुवेल (शोधार्थी), 4(6),70 - 73 (2016) |
17 . |
जैनेन्द्र के उपन्यासों में ग्रामीण जीवन आकांक्षा जैन (शोधार्थी), डॉ.कुसुमलता श्रीवास्तव (निर्देशक), 4(6),74 - 76 (2016) |
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हिंदी कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन डॉ.उषा बगेडि़या, 4(6),77 - 79 (2016) |
19 . |
हिंदी कहानियों में ग्रामीण जीवन निर्मला चौधरी (शोधार्थी:), 4(6),80 - 85 (2016) |
20 . |
वैदिक साहित्य में ग्रामीण जीवन सैयद हुसैन, अंशुदेवी एम.फिल. (संस्कृत), 4(6),86 - 89 (2016) |
21 . |
‘Nectar in a Sieve’: an apt portrayal of rural India Nilofer Khan (Researcher), 4(6),90 - 96 (2016) |
22 . |
हिंदी उपन्यासों में ग्रामीण जीवन : एक अध्ययन राजश्री सिकरवार (शोधार्थी), 4(6),97 - 101 (2016) |
23 . |
समकालीन कहानियों में ग्रामीण समाज की झलक डॉ.वंदना अग्निहोत्री, 4(6),102 - 105 (2016) |
24 . |
मालवी काव्य साहित्य में ग्रामीण जीवन डॉ. प्रतिभा सोलंकी, 4(6),106 - 107 (2016) |
25 . |
‘होरी’ के जीवन की करुण कथा : गोदान डॉ.सरोज यादव, 4(6),108 - 109 (2016) |
26 . |
भिलाला लोक साहित्य में ग्रामीण जीवन सुरसिंह जामोद (शोधार्थी), 4(6),110 - 112 (2016) |
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Rural Sociology and the Epic Age Dr. Sunita, 4(6),113 - 114 (2016) |
28 . |
MGNREGA to Change the Face of Rural India Mohammad Hussain Yatoo (Researcher), 4(6),115 - 118 (2016) |
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Challenges before Information and Communication Technology in Education: With Special Reference in Rural Areas of India Hilal Ahmad Bhat (Researcher), 4(6),119 - 121 (2016) |
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जनसंचार और ग्रामीण जीवन सुश्री वन्दना रानी जोशी (शोधार्थी), 4(6),122 - 126 (2016) |
31 . |
‘राग दरबारी‘ उपन्यास में ग्रामीण जीवन की विसंगतियाँ डॉ.अर्चना चतुर्वेदी, 4(6),127 - 129 (2016) |
32 . |
कहानियों में ग्रामीण जीवन : ‘मोहनदास’ के संदर्भ में योग्यता मिश्रा (शोधार्थी), 4(6),130 - 132 (2016) |
33 . |
Mass Communication Technology as a Means of Social Change in Rural Life Ms. Shashikala Choudhary (Researcher),Dr. Kamakshi Agnihotri (Reader), 4(6),133 - 135 (2016) |
34 . |
Social Problems in India Mushtaq Ahmad Bhat (Researcher), 4(6),136 - 138 (2016) |
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सिंगाजी का काव्य और ग्रामीण जीवन कवीन्द्र कुमार भारद्वाज, 4(6),139 - 141 (2016) |
36 . |
जल संसाधन संरक्षण का ग्रामीण जनजातियों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव(कालिक विश्लेषण 1991-2011) (मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में) कैलाश डावर (शोधार्थी), 4(6),142 - 148 (2016) |
37 . |
संचार माध्यमों से बदलता ग्रामीण जीवन सुश्री संध्या शर्मा (शोधार्थी), 4(6),149 - 151 (2016) |
38 . |
ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर-किशोरियों में रोजगार के अवसर का अध्ययन सबलसिंह ओहरिया (शोधार्थी), 4(6),152 - 156 (2016) |
39 . |
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गरीबी के कारण, प्रभाव एवं निवारण : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन कु. अर्चना आर्य (शोधार्थी), 4(6),157 - 159 (2016) |
40 . |
जितेन्द्र श्रीवास्तव कृत ‘कायांतरण’ में लोक-चेतना मनोज कुमार कुँवातिया, 4(6),160 - 166 (2016) |
41 . |
जनसंचार के माध्यम से ग्रामीण जीवन स्तर के बदलते आयाम सतीश जायसवाल (शोधार्थी),डॉ.सचिन शर्मा, 4(6),167 - 170 (2016) |
42 . |
ग्रामीण आदिवासी समुदाय की महिलाओं की शैक्षिक उन्नति में बरली ग्रामीण महिला विकास संस्था की भूमिका का अध्ययन सरिता बोबड़े (शोधार्थी), 4(6),171 - 177 (2016) |
43 . |
Improvising rural education system A digitalized Step towards development Iflah Naseem1, Ashirr K Kashyap1and Dr. Dheeraj Mandloi2, 4(6),178 - 181 (2016) |
44 . |
रेणु के ‘मैला आँचल’ में ग्रामीण जीवन की अभिव्यक्ति डॉ. मनोरमा अग्रवाल, 4(6),182 - 184 (2016) |
45 . |
वैदिक साहित्य में ग्रामीण अर्थ व्यवस्था डॉ. गोपालकृष्ण शर्मा 1 , डॉ. कुंवरसिंह मुझाल्दा 2 (सहायक प्राध्यापक), 4(6),185 - 187 (2016) |
46 . |
भीली जीवन में लोक साहित्य की वाचिक परम्परा डॉ. प्रभा बहार, 4(6),188 - 189 (2016) |
47 . |
Khah as a Rural dialect spoken in Chenab Valley J&K Mohd Muzamil Sohil (Researcher), 4(6),190 - 191 (2016) |
48 . |
Reflection of Rural life in the Novels of Arun Joshi Mohd Muzamil Sohil (Researcher), 4(6),192 - 194 (2016) |
49 . |
‘महाभोज’ का राजनीतिक एवं मनोवैज्ञानिक अध्ययन योगिता राठौर (शोधार्थी),डॉ.मनीषा शर्मा, 4(6),195 - 199 (2016) |
50 . |
हिंदी कहानी और ग्रामीण समुदाय : एक अध्ययन कीर्ति भारद्वाज(शोधार्थी), 4(6),206 - 209 (2016) |
51 . |
Rural Life in Gulzar’s Poetry Basharat ul Haq (Researcher), 4(6),210 - 211 (2016) |
52 . |
प्रेमचंद की प्रमुख कहानियों में ग्रामीण जनजीवन मोनिका रितेश पटेल (शोधार्थी), 4(6),212 - 215 (2016) |
53 . |
प्रेमचंद के कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन डॉ.शबनम खान, 4(6),216 - 218 (2016) |
54 . |
विनोद कुमार शुक्ल के साहित्य में ग्रामीण जीवन लखन रघुवंशी (शोधार्थी), 4(6),219 - 224 (2016) |
55 . |
Rural Life in Indian English Fiction –with special reference to R.K Narayan Dr. Subrato Guha, 4(6),225 - 226 (2016) |
56 . |
हिंदी कहानियों में ग्रामीण जीवन और आर्थिक परिवेश डॉ. इन्दु मिश्रा (विभागाध्यक्ष), 4(6),227 - 228 (2016) |
57 . |
Rural life in Fiction Sehba Jafri, 4(6),229 - 231 (2016) |
58 . |
Higher Education In Rural Areas: Issues And Problems Dr.(Smt.) Anju Baghel, 4(6),232 - 234 (2016) |
59 . |
प्रेमचंद की कहानियों में ग्रामीण समाज की झलक डॉ.श्रीमती रशीदा खान, 4(6),235 - 237 (2016) |
60 . |
ग्राम्य जीवन को चित्रित करते बुन्देली लोक गीत डॉ. अरूणा मोटवानी, 4(6),238 - 241 (2016) |
61 . |
भारतीय किसान साहित्य के परिप्रेक्ष्य में डॉ. प्रतिभा पाण्डेय, 4(6),242 - 245 (2016) |
62 . |
स्थानीय स्वशासन : मौर्यकालीन एवं वर्तमान भारत डॉ. चंद्रलेखा सांखला, (अतिथि विद्वान), 4(6),246 - 247 (2016) |
63 . |
मध्यप्रदेश में नगर पालिका परिषदों का संगठन डॉ. चंद्रलेखा सांखला, (अतिथि विद्वान), 4(6),248 - 250 (2016) |
64 . |
बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की धम्मक्रान्ति का तत्वज्ञान डॉ. मनीष मेश्राम, 4(6),251 - 257 (2016) |
65 . |
मन्नू भण्डारी और ममता कालिया की कहानियों में सामाजिकता के विविध आयाम विनीता गुप्ता, 4(6),258 - 261 (2016) |
66 . |
वैश्वीकरण में ग्रामीण समाज और हिन्दी कथा साहित्य डॉ. सादिक मोहम्मद खान (शोधार्थी), 4(6),270 - 274 (2016) |
67 . |
Pen Portrayal of Rural Life and Indian Myth in R.K. Narayan’s Novel -The Guide Rachana Bairagi, 4(6),275 - 279 (2016) |
68 . |
अज्ञेय के काव्य में बिम्ब सौन्दर्य डॉ. वर्षा शर्मा (शोधार्थी), 4(6),280 - 283 (2016) |
69 . |
योगशास्त्र और स्वास्थ्य का अंत:सम्बन्ध डॉ. जितेन्द्र शर्मा, 4(6),284 - 289 (2016) |
70 . |
Rural Life in Urdu Short Stories Fayaz Ahmad Sheikh (Researcher), 4(6),262 - 267 (2016) |
71 . |
Nida ki shayri me dehati rang Dr. sadeka khan (Researcher), 4(6),268 - 269 (2016) |
Editorial