खोज का परिणाम |
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कालिदास के काव्य में वर्णित पौराणिक देववृक्ष पारिजात : प्रकरण और कथा डॉ. भूपेन्द्र हरदेनिया, 1(2),26 - 30 (2012) |
2 . |
मनुस्मृति में नारी और विवाह संस्कार प्रा.विनुभाई एन.पटेल, 2(3),49 - 51 (2014) |
3 . |
संस्कृत-साहित्य और पर्यावरण सुधार डॉ.रामहेत गौतम, 2(5),21 - 25 (2014) |
4 . |
सट्टक स्वरूपं एवं रूपकभेदेषु सट्टकस्य स्थानं प्रा.दीपक जोशी, 2(6),28 - 30 (2014) |
5 . |
वेदों में नैतिक तत्वों की वर्तमान में प्रासंगिकता गिरिजा कुमारी, 2(6),31 - 34 (2014) |
6 . |
वेद मंत्रों में ऐतिहासिक घटनाओं के संकेत प्रा.एल.एस.पटेल, 2(7),46 - 49 (2014) |
7 . |
कालिदास के रूपकों में नारी समस्या जहाँ आरा , 2(7),50 - 52 (2014) |
8 . |
वेदों में उपलब्ध संस्कारों का स्मृतियों में उपबृंहण अनीस अब्बास रिज़वी(शोधार्थी), 3(8),2 - 7 (2015) |
9 . |
संस्कृत रूपकों में पिता-पुत्री सम्बन्ध: एक अध्ययन जहाँ आरा(शोधार्थी), 3(8),8 - 11 (2015) |
10 . |
शारीरकभाष्य का उपमा वैषिष्ट्य मुकेश कुमार गुप्ता (शोधार्थी), 3(8),12 - 16 (2015) |
11 . |
संस्कृत नाट्य लेखन परंपरा में दशरूपक का महत्व आशीष कुमार(शोधार्थी), 3(8),26 - 31 (2015) |
12 . |
वैदिक साहित्य में ग्रामीण अर्थ व्यवस्था डॉ. गोपालकृष्ण शर्मा 1 , डॉ. कुंवरसिंह मुझाल्दा 2 (सहायक प्राध्यापक), 4(6),185 - 187 (2016) |
13 . |
भवभूति के नाटकों में स्वतन्त्र प्रयोग डॉ. संगीता मेहता, 4(12),2 - 6 (2016) |
14 . |
साधुशब्दज्ञानपूर्वकम् असाधुशब्दनिवर्तनम् डा. जयकृष्णः सहायकाचार्यः (व्याकरणम्), , 8(2),2 - 10 (2019) |
15 . |
भट्टलक्ष्मीधरस्य चक्रपाणिविजयम् इति महाकाव्ये कतिपयसमासप्रयोगाणां व्याकरणदृष्ट्या परिशीलनम् डा. जयकृष्णः सहायकाचार्यः (व्याकरणम्), , 8(3),11 - 17 (2020) |
16 . |
अद्वैतसिद्धिग्रन्थस्थद्वितीयमिथ्यात्वलक्षणे विनियुक्तानां हेत्वाभासनिग्रहस्थानानां न्यायशास्त्रदृष्ट्या परिशीलनम् वाणी मञ्जुनाथ हेगडे(शोधच्छात्रा) , 8(3),21 - 29 (2020) |
17 . |
गीतायाः कर्मयोगस्य वर्तमानकाले प्रासङ्गिकता अनुराधा(शोधार्थी), 8(7),3 - 6 (2020) |
18 . |
Value of Moral Education with Special Reference to the Nitisataka कुमारी विक्टोरिया (शोधार्थी), 9(2),32 - 36 (2020) |
19 . |
वाल्मीकिरामीयं महाकाव्य में छन्द विधान आराधिका(शोधार्थी), 9(3),16 - 23 (2021) |
Editorial