Volume 3, Issue (7), Pages 1-53, May (2015) |
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1 . |
सम्पादकीय: राष्ट्रीय शर्म है किसानों की आत्महत्या डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(7),1 - 2 (2015) |
2 . |
बिहार के लोकतत्व रोशन कुमार (शोधार्थी), 3(7),3 - 7 (2015) |
3 . |
प्रसाद के नाटकों में संस्कृति, सत्ता और स्वाधीनता के लिए संघर्ष डॉ नीलम राठी, 3(7),8 - 12 (2015) |
4 . |
अद्वैतवेदान्त एवं सांख्यदर्शन में सृष्टि-प्रक्रिया भोला नाथ (शोधार्थी), 3(7),13 - 19 (2015) |
5 . |
दलित विमर्श में आत्मकथाओं की भूमिका राजेश कुमारी (शोधार्थी), 3(7),20 - 23 (2015) |
6 . |
1857 ई0 की क्रांति में गुजरों व रांघड़ों का योगदान: जनपद सहारनपुर के विशेष सन्दर्भ में जयदीप कुमार (शोधार्थी), 3(7),24 - 27 (2015) |
7 . |
1857 की राज्य क्रान्ति और धर्म अल्पना पोषवाल (शोधार्थी),विरेन्द्र कुमार (शोधार्थी), 3(7),28 - 30 (2015) |
8 . |
सिगालोवाद-सुत्तः सुखी मानव जीवन की आधारशिला डॉ.ज्ञानादित्य शाक्य, 3(7),31 - 38 (2015) |
9 . |
पाली साहित्य में वर्णित तथागत बुद्ध के नौ सर्वोत्तम गुण मनीष मेश्राम (धम्मचारी मंजूकुमार), 3(7),39 - 44 (2015) |
10 . |
औपनिवेशिक मुक्ति के उद्गाता : पर्क मोकवेल और जो जीहून ली जिह्युन (शोधार्थी), प्रो. देवशंकर नवीन, 3(7),45 - 46 (2015) |
11 . |
भारत की सामाजिक प्रगतिशीलता और स्त्री डा. बलवीर सिंह जम्बाल, 3(7),47 - 51 (2015) |
Editorial