Volume 2, Issue (12), Pages 1-102, October (2014)


1 . सम्पादकीय:राजनीतिमुक्त रचनात्मक कार्यक्रम की दरकार
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 2(12),1 - (2014)

2 . अन्धेरे में - एक अनिवार यात्रा
डॉ.संध्या गंगराडे़, 2(12),2 - 10 (2014)

3 . संत साहित्य में ‘लोकमंगल’ की अवधारणा एवं वर्तमान संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता
डॉ.हरेन्द्र सिंह, 2(12),11 - 14 (2014)

4 . ब्लाग में नारी विमर्श
निशा सिंह (शोधार्थी), 2(12),15 - 24 (2014)

5 . समकालीन कथाकार मालती जोशी की कहानियों में पारिवारिक संदर्भ
चित्रा खींची (शोधार्थी), 2(12),25 - 28 (2014)

6 . The Significance of Sekhiya Dhammā in Environmental Protection
Dr.Gyanaditya Shakya, 2(12),29 - 36 (2014)

7 . शोध के प्रति वाणिज्य प्राध्यापकों की अभिरुचि का विश्लेषणात्मक अध्ययन (इंदौर शहर के विशेष सन्दर्भ में)
डॉ. हेमा मिश्रा, 2(12),37 - 43 (2014)

8 . भारत एवं दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (दक्षेस) और भारत की भूमिका : एक विश्लेषण
डॉ.शीला ओझा, 2(12),44 - 52 (2014)

9 . ‘उखड़े हुए लोग’ उपन्यास में मध्यमवर्ग
नरबू ड्रेमा (शोधार्थी), 2(12),53 - 55 (2014)

10 . रामचरित मानस और मनोविकार
सतीन्द्र कुमार शुक्ल, 2(12),56 - 59 (2014)

11 . विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत महिलाओं की आधुनिकता का समाजशास्त्रीय अध्ययन (इन्दौर शहर के विशेष संदर्भ में)
डॉ.सुशीला माहौर, सपना बड़ोले (शोधार्थी), 2(12),60 - 63 (2014)

12 . आधुनिकता के आईने में जाति परिदृश्य के बदलते प्रतिमानों का अध्ययन
नितिन चंद्रा, नानकचन्द (शोधार्थी), 2(12),64 - 68 (2014)

13 . Pradhan Mantri Jan-Dhan yojna for weaker section-An Evaluation
*Dr. Ashish Pathak,**Ms. Amrita Soni,***Dr. B.P. Agrwal, 2(12),69 - 74 (2014)

14 . The significance of Heart Sutra in Mahayana Buddhism
Dr. Manish Meshram, 2(12),75 - 82 (2014)

15 . सामाजिक अस्पृश्यता का साहित्य
नानक चन्द गौतम, नितिन चंद्रा (शोधार्थी), 2(12),83 - 89 (2014)

16 . विकास प्रशासन में नौकरशाही की भूमिका (जनपद सहारनपुर का एक अध्ययन)
डॉ.सत्यवीर सिंह, डॉ.कुलदीप सिंह, 2(12),90 - 102 (2014)