Volume 3, Issue (2), Pages 1-50, December (2014) |
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1 . |
सम्पादकीय:नेशनल प्लानिंग का अर्थ विलेज प्लानिंग हो विनोबा, 3(2),1 - 4 (2014) |
2 . |
शिक्षक प्रशिक्षणार्थियों की शिक्षण दक्षता पर आत्मसंकल्पना, संकाय एवं इनकी अंतःक्रिया के प्रभाव का अध्ययन डॉ.लक्ष्मण शिंदे, 3(2),5 - 15 (2014) |
3 . |
In defence of vernacular press, its future and challenges in Kashmir Iram Rizvi, 3(2),16 - 29 (2014) |
4 . |
RELEVANCE OF MAHAKAVYAS IN PRESENT SOCIETY Dr.Sunita, 3(2),30 - 34 (2014) |
5 . |
Evolution and Distribution Pattern of Urbanization:A Geographical Study of NOIDA Shah Alam, 3(2),35 - 38 (2014) |
6 . |
संजीव की कहानियों में आदिवासी समाज की समस्याएं और चुनौतियाँ ज्योति कुमारी मीणा , 3(2),39 - 44 (2014) |
7 . |
उपेन्द्रनाथ अश्क के नाट्य-साहित्य में मध्यवर्गीय नारी तरूणा यादव, 3(2),45 - 47 (2014) |
8 . |
रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन डा. बलवीर सिंह जम्वाल, 3(2),48 - 50 (2014) |
Editorial